अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Wednesday, April 13, 2011

जनता का भ्रष्टाचार मीटर

आज अचानक यह ख़याल आया कि कितने भ्रष्ट है हम लोग अपनी दिनचर्या में, इस बात को अगर मैं जाचने लगू तो बहुत से पैमाने है हमारे पास चलो देखते हैं हम स्वयं को, जो नेताओ की बुराई करते हैं, नौकरशाहों को कोसते हैं, भ्रस्ट लोगो की जी भरकर बुराई करते हैं, कि हम कितने पानी में हैं

१. अगर आपके घर में अचानक खाना पकाने की गैस खतम हो जाए तब आप क्या करते हैं, ब्लैक में सिलेंडर खरीदते हैं या एजेंसी से बड़ा सिलेंडर जिस पर कोई सब्सिडी नहीं होती वो खरिदते हैं, घर में शादी ब्याह होने पर कौन से सिलेंडर प्रयोग करते हैं


२. आपको अगर सड़क पर गलत गाडी चलाते हुए या कागज़ पूरे न होने पर पुलिस पकड़ ले तब आप अपना चालान कटाते हैं या रिश्वत देकर वही मामले को रफा दफा करते हैं


३. आपको पासपोर्ट बनवाना है और पुलिस की इन्क्वारी होनी है तब आप पुलिस को पैसा देकर काम कराते हैं या बस अपनी रसूख से काम चलाते हैं


४. बच्चे का अड्मिशन कराना है और स्कूल डोनेशन मांग रहा है जो बिलकुल जायाज नहीं है तब आप क्या करते हैं


५. भारत के लगभग पचास प्रतिशत लोग बिजली चोरी करते हैं, आप क्या करते हैं


६. ट्रेन में सीट नहीं मिल पा रही है - जाना जरूरी है , टी टी पैसे मांग रहा है आप क्या सोचते हैं


इसके अलावा भी हज़ारो बाते होंगी शायद जहां हम अपनी सुविधा के हिसाब से सुविधा शुल्क देते हैं और ईमानदार बने रहते हैं नेताओं को, आला अफसरों को खूब कोसते हैं


समय है मनन का की हम खुद को भी अनुशासित करे और खडे हो धर्म् युध्ह में एक अनुशासित सिपाही की तरह भ्रष्टाचार को खतम करे, आइये एक नया भारत बनायें

एक ऐसा भारत जहां लोग अलग ढंग से सोचते हो , जहां एक करोड का घर बना लेने के बाद उसके पास वाली जगह पर घर का गन्दा पानी न भरता हो , जहां मछ्छर के काटने पे लोग उसको मारने की दवाई न ढूढते हो बल्कि ये जानने की कोशिश करते हो की ये मच्छर किन कारन से आ गया | जहां लोग खुद कुछ करते हो और काम न होने का दोष सरकार पर न लगाते हो | एक ऐसा देश जहां भूखे को देखकर भंडारा याद न आता हो बल्कि ये जानने की कोशिश की जाती हो की ये क्यूँ भूखा रह गया | जहां स्कूलों की दशा शहर के मंदिरों से अच्छी हो| आओ नया भारत बनाये जहां के बड़े बुजुर्ग बच्चो को खुश रहने का आशीर्वाद देते हो न की बहुत से पैसे कमा कर बड़ा आदमी बनने का |