अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Sunday, August 21, 2011

हौसला


आज उड़ान के बच्चो ने अपनी पहली रंगारंग प्रस्तुति दी |(उड़ान कूड़ा बीनने वाले बच्चो को पढाने की मुहीम है ) उन बच्चो ने जो कभी सोच भी नहीं सकते थे की मंच से कुछ करना कितना अलग होता है | आधे से ज्यादा लोग जो देखने आये थे यह उनके जीवन का पहला कार्यक्रम था और जो कर रहे थे उनके जीवन का भी पहला डांस कार्यक्रम | आज मेरा मन बहुत भावुक हो रहा था, कई बार पानी आँखों तक चला आया | प्रस्तुति से पहले मेरे मन में कुछ पंक्तियाँ आई उनको आपके साथ बाँटता हूँ | दोस्तों समाज अपना है इसको बदलने का ख्वाब देखते हो तो काम करना ही होगा , सपने कुछ नहीं बदलते अगर उनपर काम न किया जाए | कुछ समय समाज के लिए भी रखो क्यूंकि इससे बड़ी दवा नहीं है खुश रहने और उदासी से बचने की |




रौशनी पर लगा ग्रहण

अब हटने लगा है

किरणों से बनती छाया

समझ आने लगी है

छाज बनाते कुशल हाथ

अब अक्षर बनाने लगे है

और कूड़ा बीनती आँखे

कागज़ में शब्दों को देखने लगी है

अंगूठे के अनाकर्षक निशान

तिरछी रेखाओं में बदल गए है

बालो के उलझे धुल भरे गुचछे

चमकदार बाल बन गए हैं

कुछ खाली खाली आँखे

रौशनी से चमकने लगी हैं

कुछ बंद रहने वाले होंठ

कविता बुदबुदाने लगे हैं

मेरे बच्चो ने उड़ना नहीं सीखा है अभी

लेकिन उनके पंख दिखने लगे हैं