अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Sunday, May 8, 2011

मुझे मरने में मेरी मदद करे


मैं एक मरणासन्न नदी हूँ , इतिहास में दर्ज होने को तैयार एक रोग ग्रस्त नदी, एक ऐसी नदी जिस पर समाज की अपार श्रध्हा है, एक ऐसी मरती हुई नदी जिसकी समाज पूजा करता है | मैं एक पूजनीय बदनसीब नदी हूँ | मैं गंगा हूँ या मैं यमुना हूँ या मैं कृष्णा, कावेरी और या मैं वो हर पूजनीय नदी हूँ जो मर रही है | जिस पर श्रध्हा भारी हो गयी है इतनी भारी की मेरा दम घुटने लगा है | समाज का पाखंड, धर्म का दिखावा, महान लोगो की निष्क्रियता, साधारण लोगो की चुप्पी और सरकार का भ्रष्टाचार सभी मिल कर मेरा गला घोंट रहे हैं | आज में आपको आमंत्रण देने आई हूँ | अपनी अंतिम यात्रा में आपसे शामिल होने का आग्रह करने, कृपया मेरी यह इच्छा पूरी करे , कृपया झूठे वायदे, मुझे बचाने के दिखावे करना बंद करे | कृपया इतनी नीचता, इतनी बेशर्मी को अपने पर हावी न होने दे की किसी की म्रत्यु से अपनी जेब को भरने का या अपने नाम को होने का फायदा उठाने की कोशिश करे | मुझे शांति के साथ मरने देने के लिए बस आपको दिखावा करना बंद करना है | अगर आपको कभी भी कोई स्नेह मुझ से रहा है कृपया निम्न कार्यों में सहयोग दे जिस से मैं शांति से मर सकू |

१. जितना अत्यधिक पानी आप नहाने, अपनी गाडियों को धोने, सड़क पर छिडकने और नाली में बहाने में सफल होंगे मैं उतनी जल्दी मरने में सफल हो पाऊँगी |

२. आप जितने ज्यादा जहरीले रसायनों का प्रयोग कर सकने में सक्षम हो कृपया उतने ज्यादा का प्रयोग कर मुझे मुक्ति देने का कष्ट करे |

३. आप बाजार से अत्यधिक चीज़े खरीदे चाहे उनकी जरूरत हो या न हो जिस से उनसे होने वाले अत्यधिक प्रदुषण से मैं शीघ्र म्रत्यु को प्राप्त हो सकूँ |

४. आप मेरी पूजा के नाम पर मुझ में खूब से फूल, पत्ते, राख, बची हुई पूजा सामग्री, टूटी हुई कावंड़, टूटी फूटी मूर्तियां आदि डाले जिस से मेरा गला रुंध जाए और मैं शीघ्र इस कलियुग से छुटकारा पा सकूँ |

५. विकास के नाम पर किया जाने वाला दोहन,किनारों पर उगते कंक्रीट के जंगल, रेत और बजरी का अवैध खनन को रोका न जाए तो जल्दी ही मैं वापिस स्वर्गलोक को प्रस्थान कर पाऊँगी

आप सभी धार्मिक लोग हैं , मरते हुए की इच्छा पूरी करने से आप पुण्य के सहभागी होंगे | मैं जीवनदायिनी नदी थी कभी, मैंने बरसो आपके पुरखो को पाला, मेरी हजारो कहानियाँ सुन कर तुमने अपना बचपन गुजारा | मेरी भी तमन्ना थी की मै स्वस्थ रहकर आपके बच्चो की हज़ारो इच्छाए पूरी करती पर अपने पानी में उठती भयंकर बदबू, तैरते हुए कचरे और मर चुकी मछलियों के बिना मुझे जीने की इच्छा नहीं रही | मैं अपने मन को नहीं समझा पाती की कैसे एक इंसान मेरी पूजा करने के बाद मुझी में अपनी चप्पल धो सकता है, अपना मैला मुझ में बहा सकता है | कृपया मुझे मरने में मेरी मदद करे |

8 comments:

  1. सच यही सोचती होगी नदी |

    Check once: http://www.youtube.com/embed/hG29mWMNYdQ

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  2. Aapne to rula diya sir jee.

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  3. Hi ajay,
    It is our duty to save rivers because we know that water is life. but i want to ask one thing, can we put a question mark on the faith of devotees?
    If we are using water in our prayers,it is the wastage of water??
    The ashes of dead people, if we are devoting in rivers is that polluting our religious rivers?

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  4. If even a few of us would amend their suicidal ways, the purpose of this beautiful piece of writeup would be amply served.

    Sushant Singhal
    Editor Paondhoi dot org

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  5. @ sandeep
    No we cant put question mark on faith of anyone but the time has come when we should start to think with open mind. Hindu is a religion where we changed ourselves with time. In ancient time hindu's worship nature because they know if we will worship we will protect, but what we are doing, we are not doing those things which can help nature. religion and faith has been vanished somewhere and everyone is busy in earning. thousands are going every year again again to vaishnodevi, amarnath... why they are going there just to celebrate their holidays. all big cities are burning their near and dear ones in electric burners without any last time rituals. This means we are changing than why we cant change our habits of throwing everything in rivers. if rivers will die what we will do. so many temples stopped so many rituals in their primises in last years for example you can not offer prasad in vaishno devi, you can not burn deepaks in tirupati. So why we cant stop throwing ashes in ganga while laks of other hindus do not throw ashes in ganga.

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  6. Do you know Sandeep christians are very fanatic for there religion but now in many countries they started burning of bodies inspite of bury due to environmental and space problem.
    If we will not change nature will destroy everything. that time neither religion will help mankind nor man will follow religious faiths

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  7. @ anoop

    Anoop we need this sensation.. We need real feelings

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  8. That would really think River | bringing bad thing! Indin Pepole

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