अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Saturday, March 12, 2011

सपनो का बीज


मैं एक बीज हू, जो जन्म देता है वट वृक्षो को, छोटी मोटी लताओ को,जहरीले पौधों को, सबसे खूबसूरत फूलो को और सबसे बदनाम खरपतवार को भी | मैं बीज हू , जो जन्म देता है नए बीजो को| मैं बीज हू, जो जन्म देता है सपनो को | मैं बीज हू जो धरती में पड़ जाए तो जीवन बन जाता हू और दिमाग में पड़ जाए तो सपना| सपना इस दुनिया को बदल देने का, सपना इस दुनिया को खतम कर देने का | जब मैं हिटलर के दिमाग में जाता हू तो कुछ और बनता हू और जब गांधी के दिमाग में तो कुछ और | मैं खतम नहीं होता मैं विस्तृत होता जाता हू | लोग कहते हैं बीज खुद खतम हो जाता है एक वट वृक्ष को जनम देने में लेकिन मैं कहता हू मैं कई गुना बढ़ जाता हू जब मैं फटता हू एक वट वृक्ष में | आज मैं बीज, एक दिमाग की मिटटी में अंकुरित हो रहा हू , उस दिमाग के भीतर छिपी आक्रोश की खाद मुझको शक्ति देगी और समाज की संवेदनहीनता मुझको मिलने वाले जल की तरह मुझसे निकले अंकुर को जीलाए रखेगी तब तक, जब तक उसका आक्रोश खतम होगा या फिर समाज की संवेदनहीनता| इस अंकुर को मैं भी एक वट वृक्ष की तरह पलने दूँगा क्यूंकि चाहता हू, ये भी विस्तृत हो और सबके दिमाग में एक नए अंकुर की तरह फूट पड़े और नए वट वृक्ष बनने तक ये भी पलता रहे|
मैं कितना भी अदना सा होऊं लेकिन कितनी ताकत है मुझमें जब मैं एक दिमाग में पलता हू , एक छोटे सपने की तरह जो कहीं किसी बच्चे के दिमाग में जन्म लेता है और एक नयी कहानी लिख देता है, बिलकुल अद्भुत और आश्चर्य जनक नयी कहानी जो न कभी सुनी गयी न कही गयी| मैं भी सपने बोने निकला हू दुनिया के लाखो इंसानों के दिमाग में, सपने जो भविष्य को रूप देंगे, सपने जो समाज को जिन्दा रखेंगे, सपने जो नए सपनो को मरने नहीं देंगे| क्या तुम भी चाहते हो सपनो को सच करना, उन सपनो को जो जीना सिखाते हैं, उन सपनो को जो उड़ना सिखाते हैं, उन सपनो को जो तुम्हे पंख होने का अहसास कराते हैं तो अपने दिमाग की मिटटी में बस मुझे यानि एक बीज को डाल दो और देखो सपनो की ताकत को|

मैं बीज हू , एक अदना सा बीज, जो दुनिया को बदल सकता है|
मैं एक बीज हू जो खतम नहीं होता किसी तूफ़ान में, किसी तपेडे में, किसी दुःख के सागर में | जब भी वक्त आता है मैं खड़ा हो जाता हू एक नए अंकुर के साथ | मैं मिस्त्र में खिलता हू तो सत्ता उखाड डालता हू, और गमले में खिलता हू तो सबकुछ महका देता हू | मैं बीज हू, मैं दोस्ती करने निकला हू, आओ मेरे साथ अपने सपने सच करने |

5 comments:

  1. bahut hi sundar ...
    shabd hi nahin tareef karne ko ...
    Agar beej bhi aapki is rachna ko padh paaye to apne beej hone par itraane lage aur garv mahsoos kar sake ki chalo kuch insaan to meri ahmiyat ko samajh paate hain... Beej ka itna sajeev chitran karne ke liye dhanyawad...

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  2. बहुत बढिया.

    जैसे बीज में वृक्ष छुपा, और चकमक में आग,
    तेरा प्रभु तुझ में छुपा, जाग सके तों जाग.

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  3. Have we ever thought about our faith being a living, growing thing?
    The problem with too many of us today is that we are afraid to try our faith. We try to play it safe and secure with someone else’s faith.
    The Mustard Seed as Faith Begin as a Grain, besides being the smallest of the seeds it must be planted. Mustard seeds usually are planted in
    holes six inches deep and filled with water.
    -72 hours later the water is gone; silt covered the seed and tiny green sprouts begin to appear.
    We must be like a grain of mustard seed, which, when it is sown in the earth, is less than all the seeds that is in the earth: But when it is sown, it grows up, and become greater than all herbs, and shoots out great branches; so that the fowls of the air may lodge under the shadow of it.
    Consider this:
    Sweeping across Germany at the end of World War II, Allied forces searched farms and houses looking for snipers. At one abandoned house, almost a heap of rubble, searchers with flashlights found their way to the basement. There, on the crumbling wall, a victim of the Holocaust had scratched a Star of David. And beneath it, in rough lettering, the message:
    I believe in the sun--even when it does not shine;
    I believe in love--even when it is not shown;
    I believe in God--even when he does not speak

    Faith is designed by God to grow…

    Ajay, keep giving rise to new seeds…

    And giving rise to new dreams…

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  4. Thanks exploring, raj and anonymous

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  5. अच्छा लिखा अजय सर
    हम सभी को नए बीजो की जरुरत है अपने दिमाग में बोने को
    गहरी संवेदनाओ के बीज, नयी उड़ानों के बीज, अच्छी सोच के बीज

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