
आज बैठे बैठे अचानक इस बात पर बहस हो गयी की मजा क्या है और ख़ुशी , दुःख क्या है बहस का निचोड़ बस एक ही की वाकई एक मनोदशा भर है सब , कोई भी चीज़ किसी को दुखी नहीं कर सकती बस उसको समझाना आना चाहिए खुद को, और आदमी किसी भी चीज़ से खुश नहीं हो सकता अगर वो नहीं जानता खुश होना आइये देखते हैं कैसे बदल जाती हैं चीज़े
पकिस्तान के भूकंप में एक व्यक्ति सिकंदर अपने होशो हवास लगभग खो चूका है क्यूंकि उसके तीन जवान बेटे इस भूकंप की भेट चढ़ गए वो अपनी पत्नी के साथ उनकी म्रत्यु पर विलाप कर रहा है तभी पता चलता है की पड़ोस के इमरान की बीवी भी उसके बच्चो के साथ काल के गाल में समां गयी इस खबर के सदमे के साथ साथ सिकंदर का दुःख थोडा कम हो जाता है वो कहता है ए खुदा मैं खुश नसीब हु की तुने मुझे मेरी पत्नी का साथ बक्शा कुछ नहीं बदला फिर भी मन ने समझा लिया और दुःख थोडा कम हो गया मुमताज़ अपनी कहानी बताते हुए कह रहा है की खुश नसीब हु अपने बच्चो को दफ़नाने को जगह मिल गयी वरना उसके पडोसी तो अपने बच्चो को दफना भी नहीं पाए वो दो लोग जो अपना सब कुछ लुटा बैठे हैं तब भी एक का दुःख दुसरे से कम है बहुत कम क्यूंकि दुःख सुख बस एक मनोदशा भर हैं
हम कितनी बातो से दुखी रहते हैं हमारा मकान नहीं बना तब क्यूँ न सोच ले की दुनिया में कितने लोग बिना छत के रह रहे हैं, जब हम फाईव स्टार होटल में खाना नहीं खा पाते तब क्यूँ नहीं सोचते कितने ही लोग भूखे सो जाते हैं, जब हम छोटी छोटी बिमारी से परेशान होते हैं तब क्यूँ नहीं हम सोच पाते की कितने ही लोग कटे फटे अंगो के साथ बिना इलाज़ के जीने को मजबूर हैं बच्चो को हमने सिर्फ आगे बढ़ने की बाते पढ़ाई हैं उसको सफल होने के आशीर्वाद दिए हैं, उसको नाम शोहरत पैसा सब कुछ पाने के लिए मंदिरों मस्जिदों में माथा टिकाया है शायद हम सब भूल गए हैं की अगर हमने उसे बस खुश रहने का आशीर्वाद दिया होता, उसे सिखाया होता की देख कितने दुःख है दुनिया में और तू कितना खुश नसीब है , उसे सिखाया होता की भगवान् को धन्यवाद कर की उसने तुझे स्वस्थ शरीर दिया , उसे सिखाया होता की ख़ुशी बस मन के भाव में छिपी है किसी चीज़ के होने न होने से उसका कोई मतलब नहीं और उसे सिखाया होता की खुश रहना मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है तो आज की अंधी दौड़ शुरू ही नहीं हो पाती आदमी के जीवन को आरामदायक बनाने वाली चीज़े उसकी जिंदगी का जंजाल न बन जाती आओ एक नयी पहल करे खुश होना सीखे जब कुछ पास न हो तब, जब हर कोई तुमसे आगे निकल जाने के लिए भाग रहा हो तब, जब तुम्हारा बच्चा मिटटी में लथपथ हो घर का फर्श खराब कर दे तब और जब तुम्हारा बेटा कहे मैं जिंदगी में बड़ा आदमी नहीं बन पाया लेकिन बहुत खुश हु तब आओ खुश होना सीखे
पकिस्तान के भूकंप में एक व्यक्ति सिकंदर अपने होशो हवास लगभग खो चूका है क्यूंकि उसके तीन जवान बेटे इस भूकंप की भेट चढ़ गए वो अपनी पत्नी के साथ उनकी म्रत्यु पर विलाप कर रहा है तभी पता चलता है की पड़ोस के इमरान की बीवी भी उसके बच्चो के साथ काल के गाल में समां गयी इस खबर के सदमे के साथ साथ सिकंदर का दुःख थोडा कम हो जाता है वो कहता है ए खुदा मैं खुश नसीब हु की तुने मुझे मेरी पत्नी का साथ बक्शा कुछ नहीं बदला फिर भी मन ने समझा लिया और दुःख थोडा कम हो गया मुमताज़ अपनी कहानी बताते हुए कह रहा है की खुश नसीब हु अपने बच्चो को दफ़नाने को जगह मिल गयी वरना उसके पडोसी तो अपने बच्चो को दफना भी नहीं पाए वो दो लोग जो अपना सब कुछ लुटा बैठे हैं तब भी एक का दुःख दुसरे से कम है बहुत कम क्यूंकि दुःख सुख बस एक मनोदशा भर हैं
हम कितनी बातो से दुखी रहते हैं हमारा मकान नहीं बना तब क्यूँ न सोच ले की दुनिया में कितने लोग बिना छत के रह रहे हैं, जब हम फाईव स्टार होटल में खाना नहीं खा पाते तब क्यूँ नहीं सोचते कितने ही लोग भूखे सो जाते हैं, जब हम छोटी छोटी बिमारी से परेशान होते हैं तब क्यूँ नहीं हम सोच पाते की कितने ही लोग कटे फटे अंगो के साथ बिना इलाज़ के जीने को मजबूर हैं बच्चो को हमने सिर्फ आगे बढ़ने की बाते पढ़ाई हैं उसको सफल होने के आशीर्वाद दिए हैं, उसको नाम शोहरत पैसा सब कुछ पाने के लिए मंदिरों मस्जिदों में माथा टिकाया है शायद हम सब भूल गए हैं की अगर हमने उसे बस खुश रहने का आशीर्वाद दिया होता, उसे सिखाया होता की देख कितने दुःख है दुनिया में और तू कितना खुश नसीब है , उसे सिखाया होता की भगवान् को धन्यवाद कर की उसने तुझे स्वस्थ शरीर दिया , उसे सिखाया होता की ख़ुशी बस मन के भाव में छिपी है किसी चीज़ के होने न होने से उसका कोई मतलब नहीं और उसे सिखाया होता की खुश रहना मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है तो आज की अंधी दौड़ शुरू ही नहीं हो पाती आदमी के जीवन को आरामदायक बनाने वाली चीज़े उसकी जिंदगी का जंजाल न बन जाती आओ एक नयी पहल करे खुश होना सीखे जब कुछ पास न हो तब, जब हर कोई तुमसे आगे निकल जाने के लिए भाग रहा हो तब, जब तुम्हारा बच्चा मिटटी में लथपथ हो घर का फर्श खराब कर दे तब और जब तुम्हारा बेटा कहे मैं जिंदगी में बड़ा आदमी नहीं बन पाया लेकिन बहुत खुश हु तब आओ खुश होना सीखे