अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Tuesday, August 27, 2013

समय

समय रुकेगा नहीं ये जानने के लिए की तुम्हारे दावे सही हैं या गलत , तुम्हारे तर्क , कुतर्क , सभी बहसे समय के साथ अपना असर खो देंगी | दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगो के शोरगुल में किसी आवाज का कोई मतलब नहीं होगा क्यूंकि समय उन सबसे आगे निकल जाएगा | लेकिन कुछ लोग बिना तर्कों और बहसों में उलझे , समय की परवाह किये बगैर उसके साथ चलने का जज्बा खोज पाए हैं | कितना अजीब है मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी , विवेकानंद अपने चले जाने के बाद भी समय के साथ चल रहे हैं | आप कब बहस छोड़ समय के साथ चलने की कोशिश में समर्पित होंगे ... आओ उठ खड़े हो और बदलाव की कहानी का हिस्सा बने वरना तुम खुद अपने को माफ नहीं कर पाओगे की जब दुनिया बदलने का ख्वाब देख रही थी तुम अपने घर में पड़े समय को बर्बाद कर रहे थे | उठो उठो क्यूंकि यही एक तरीका है बदलने का 

Friday, August 23, 2013

आज़ादी कहाँ है


मेरे बोलने की आज़ादी कहाँ है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 कांग्रेसी बोलते हैं तुझे २००२ नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मोदी भक्त कहते हैं बर्बाद देश नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मुस्लिम कहते हैं तुम सांप्रदायिक हो
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 हिंदू कहते है तेरे कारन ही देश बर्बाद हो रहा है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 लोग कहते हैं बड़ा देश भक्त बनता फिरता है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 माफिया कहते हैं मरने का शौंक है क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 पुलिस कहती है सीधा हो जा पंगा मत ले
 मैं बोलना बंद कर करने लगता हूँ
 लोग कहते हैं मोटा कमा रहा है
 आजकल न बोलता हूँ न करता हूँ
 मैं भारतीय बस आज़ादी ढ़ूंढ़ रहा हूँ
 बोलने की आज़ादी और कुछ कर पाने की


Thursday, August 22, 2013

कटते पेड सिर्फ वायु प्रदुषण का कारण नहीं बन रहे है बल्कि हज़ारो तरह के जीव जंतु भी कटते पेडो के कारन अकाल म्रत्यु को प्राप्त हो रहे हैं | ये एक शुरुआत है जीवन के धरती से जाने की | हर वर्ष बहुत से कीड़े मकोड़े और वृक्षों की प्रजातियां धरती से पूरी तरह नष्ट हो जा रही है इनको बचाने की जिम्मेदारी हमारी है क्यूंकि हमारी जिंदगी भी इन सब के संतुलन से जुडी है |संतुलन का अभाव बहुत सी प्रजातियों को तो धरती से मिटा ही देगा लेकिन उनके मिटने के कारन जो प्रभाव पैदा होंगे वो इंसानों के लिए भी बहुत सुखद नहीं होंगे | धरती पर आने वाले कुछ वर्षों में नयी तरह की त्रासदियाँ देखने को मिलने वाली है और किस इंसान का किस त्रासदी से सामना हो जाए इसका पता किसी को नहीं है ... जागने का समय आ गया है
यह फोटो आश्चर्यजनक है | अजीब हालत में दीखते लोग क्या आप जानते हैं मोम के बने पुतले है | 1925 में इंग्लॅण्ड के मैडम तुसाद मयूजियम में लगी आग के बाद की तस्वीर ये बताने के लिए पर्याप्त है की अगर प्राकर्तिक ताकते हवा, पानी और आग अपनी पर आ जाए तो क्या कहर मचा सकती हैं | आदमी हर चीज़ से खेल रहा है बिना ये सोचे की प्रक्रति संतुलन करना जानती है और हर बार कोप का भाजन मोम के पुतले नहीं होते