समय रुकेगा नहीं ये जानने के लिए की तुम्हारे दावे सही हैं या गलत , तुम्हारे तर्क , कुतर्क , सभी बहसे समय के साथ अपना असर खो देंगी | दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगो के शोरगुल में किसी आवाज का कोई मतलब नहीं होगा क्यूंकि समय उन सबसे आगे निकल जाएगा | लेकिन कुछ लोग बिना तर्कों और बहसों में उलझे , समय की परवाह किये बगैर उसके साथ चलने का जज्बा खोज पाए हैं | कितना अजीब है मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी , विवेकानंद अपने चले जाने के बाद भी समय के साथ चल रहे हैं | आप कब बहस छोड़ समय के साथ चलने की कोशिश में समर्पित होंगे ... आओ उठ खड़े हो और बदलाव की कहानी का हिस्सा बने वरना तुम खुद अपने को माफ नहीं कर पाओगे की जब दुनिया बदलने का ख्वाब देख रही थी तुम अपने घर में पड़े समय को बर्बाद कर रहे थे | उठो उठो क्यूंकि यही एक तरीका है बदलने का
अंतर्मन में उत्पन्न हुए, कुछ व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से सम्बंधित, कुछ भावों को प्रदर्शित करने की एक छोटी सी कोशिश
अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
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