अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Tuesday, November 25, 2014

स्वच्छ भारत अभियान
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फटे हुए पन्नी के टुकड़े
चाय पीकर फेंके हुए गिलास
चिप्स के रैपर
प्लास्टिक की रस्सियाँ
मुसा हुआ अखबार
गुटके के खाली पैकेट
सिगरेट के बचे हुए टोटे
एक जिंदगी बचा रहे हैं
अभी तो सड़क से चुगा है
काली खुश है इतनी ठण्ड में
उसके पास आग तापने को
कबाड़ का बड़ा सा ढेर है
स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है
नहीं पता काली कब तक जियेगी

अजय सिंघल
25/11/2014

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