कभी कभी समाज की जटिलता और हम लोगों की समाज के लिए बेरुखी देखकर मुझे अवसाद होता है | ऐसे में मेरा मन करता है कि कुछ देर सुकून के साथ अकेला बैठा रहूँ | कितनी बार मैं आसमान की तरफ देख कर भगवान से कहता हूँ - "काश मेरे पास कोई जादू की छड़ी हो तो मैं कैसे दुनिया के कुछ दुःख कम कर दूँ |" कितनी बार मेरी आंखे छलछला जाती हैं किसी बहुत ही छोटी सी विसंगति को देखकर | कितनी बार मुझे लगता है कि क्या मैं अवसाद से बुरी तरह ग्रस्त हो गया हूँ और कितनी ही बार लगता है कि इस से मुझे शक्ति मिलती है | बल्कि, सोचता हूँ कि मेरा शक्ति का स्त्रोत ही मेरा छोटी चीजों से अवसाद का होना है |
कुछ समय पहले मैंने कुछ लिखा था, बस से आते समय एक छोटे बच्चे को देखकर | मेरी कल्पना है यह, लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरा अवसाद मुझे एक दिन इतनी शक्ति देगा जब मैं इस पूरे प्रकरण को दोहरा पाऊँगा |
बच्चा
वो आदम जैसा बच्चा था
सर गंजा, रंग का काला था
ना जाने कहाँ से आया था
छाती में हड्डी का घेरा
आँखों के नीचे रंग गहरा
पतली डंडी से पाँवों पर
एक घड़ा सा पेट टिका
आँखे झप झप कुछ इधर उधर
न जाने था क्या कुछ ढूंढ रहा
कूड़े की एक ऊँची ढेरी पर
नंगे पाँवो वो चलता था
न जाने था क्या सोच रहा
न जाने था क्या देख रहा
जब उत्सुकता से मैंने देखा
वो दौड़ा दौड़ा, भागा आया
हड्डी सा, एक हाथ उठा
बोला बस दे दो एक रूपया
मैं सम्मोहित और झकझोरा सा
अपने आँगन में बैठा हूँ
मन में है मेरे द्वन्द मचा
क्यों मानव जीवन मुझे मिला
जीवन की अब इस संध्या पर
जाना मैंने मानव होना
मन बोला चल, तू अब चल
वो भी तो एक मानव जीवन था
तब साथ लिया वो नंग धडंग
उसको घर पे अपने लाया
अब सुनता हूँ जब दुःख उसके
तो गुनता हूँ मैं सुख अपने
दाता ने मुझको क्या न दिया
ये आज मुझे है लगा पता
जीवन का आनंद है क्या
यह नंग धडंग ने बता दिया |
अंतर्मन में उत्पन्न हुए, कुछ व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से सम्बंधित, कुछ भावों को प्रदर्शित करने की एक छोटी सी कोशिश
अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
Your posts are so touching and penetrate deep inside heart. I am crying after reading this post. Definitely this all will become a big strength for you.
ReplyDeleteअब सुनता हूँ जब दुःख उसके
ReplyDeleteतो गुनता हूँ मैं सुख अपने
दाता ने मुझको क्या न दिया
ये आज मुझे है लगा पता
जीवन का आनंद है क्या
यह नंग धडंग ने बता दिया |
Kya baat kahee aapne!
Nihayat achhee rachana!
ReplyDeleteSwagat hai!
सभी को जानकारी के लिये बता दू ये केवल रचना ही नहीं है, ये तों अजय जी की भावनाओ से पिरोये गए मोती है.
ReplyDeleteअंतर्मन को झकझोरती प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteThanks to everyone for suggestions and motivation
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..धन्यवाद|
ReplyDeletevery good post ajay. I read it many time and always feel as something penetrate me deep..
ReplyDeletegood
superlike!!
ReplyDeleteThanks dosto
ReplyDeleteThanks dosto
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