अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Monday, November 1, 2010

आपको क्या फायदा है इसको करने से?

"आपको क्या फायदा है इसको करने से?" - मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा कोई प्रश्न इस दुनिया में किसी भी अच्छे काम के लिए पूछा जा सकता है |

एक चोर से पूछ सकते हैं, एक शराबी से, या फिर एक उग्रवादी से; लेकिन, एक आदमी से जो अपने घर के बाहर से कूड़ा उठाते समय अपने पडोसी का कूड़ा भी उठवा देता है और उसका पडोसी कहता है कि क्यूँ उठवाया उसका कूड़ा, "क्या फायदा है आपको इसको करने से?"
जब मैंने सोचा कि समाज के लिए कुछ करने को कहीं से शुरुआत की जाए और खुद ही कुछ काम करने शुरू किये तो मेरे सामने भी यह प्रश्न बार-बार आक़र खड़ा होने लगा कि "क्या फायदा है आपको इसको करने से?" मुझे समझ नहीं आता कि जब मैं एक पेड लगाने पर कहता हूँ कि ऐसा करना पर्यावरण के लिए अच्छा है तो वो आदमी अपनी निगाहों से मुझसे हमेशा यह क्यूँ पूछता है कि और क्या फायदा है आपको इसको करने से | एक इंसान ने पूछ ही लिया अभी, कि आपको वर्ल्ड बैंक से इसके लिए पैसे मिलते होंगे और जब मैंने कहा नहीं भाई, हम कुछ लोग हर महीने कुछ पैसे जमा करते हैं और उनसे ये काम करते हैं तो उसने कह दिया हांजी हर कोई यही कहता है | इतने पागल तो हम भी नहीं हैं की आप कहें और हम मान लें कि आप घर फूक के तमाशा देखते हैं | कितना यक्ष प्रश्न है यह अपने आप में कि क्या फायदा है आपको इसको करने से | सोचो इसके बिना हमने कुछ करना छोड़ दिया है इंसान कैसे इतना अजीब हो गया है समय के साथ कि अगर किसी काम में उसको कोई फायदा न दिखे तो वो उसको करता ही नहीं |
यदि आप भी यही सोचते हैं और हर किसी अच्छे काम के पीछे फायदा खोजते हैं तो कृपया थोडा सा बैठ कर सोचो कि जब आपका बच्चा बड़ा होगा और आपसे पूछेगा कि दादा जी आपकी इस उम्र में सेवा ??? क्या फायदा है इसको करने से ???
जब माँ बच्चे को पैदा करने से पहले उस से पूछेगी क्या फायदा है तुझे पैदा करने से ???

वैसे हम इंसान भगवान् की पूजा भी यही सोच कर करते हैं कि क्या फायदा है इसको करने से | जब हज़ार का फायदा होता है तो कुछ भगवन को भी चढाते हैं कि उसे भी कुछ फायदा हो जाए |

ये फायदे को देखने की दुनिया है अगर आप नहीं देख पाते तो आप अजीब हैं |

3 comments:

  1. अभी कुछ दिन पहले सबसे अजीब घटना हमारे एक सदस्य के साथ घटी | शुभांग गौड़ अपनी कंपनी के बाहर से सफाई करा रहे थे उसी समय उन्होंने देखा की सामने वाली कंपनी के बाहर भी कूड़े का ढेर लगा है तो उन्होंने कह दिया की भाई वो सामने से भी कूड़ा उठा लेना लेकिन आश्चर्य जनक रूप से सामने की कंपनी का मालिक आया और कहने लगा की “ ये कूड़ा आप उठवा रहे है, कहाँ ले कर जायेंगे और आपने इस कूड़े को उठवाने के कितने पैसे लिए हैं “ क्या आश्चर्य है खुद कुछ काम करते नहीं और जो करता है उसको कहते है की तुमने हमारा कूड़ा बेच दिया है और उससे पैसे कमाते हो |
    किस दिशा में बढ़ गए हैं हम | हमे इस दुनिया में सिर्फ ६०-७० साल जिन्दा रहना है और उस सब के लिए कितना चाहिए पता नहीं , बस एक अंधी दौड में दौड रहे हैं किसलिए ये भी पता नहीं, सड़क पर भागते दौडते एक दिन खतम हो जायेंगे लेकिन कभी नहीं सोचते की मन में शांति रहे , कभी नहीं सोचते की असली खुशी को पास से देखे , कभी नहीं सोचते इस दौड में किसी और का न सही कम से कम अपना तो ध्यान रखे |

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  2. अच्छा लिखा है आपने कि "क्या फायदा इसको करने से?"
    लेकिन इसको हम अगर इस तरह से देखें कि दुनिया में नि:स्वार्थ काम करने वाले अब इतने कम लोग हैं कि एक सामान्य आदमी के लिए इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है कि कुछ लोग बिना फायदे के भी कुछ अच्छे काम करने कि कोशिश करते हैं | अगर बहुत से लोग अब निःस्वार्थ काम करें तो लोगों का यह भ्रम दूर हो सकता है कि हर काम के पीछे एक स्वार्थ ही होता है |

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  3. Good Ajay
    very good effort to express this way. Keep it up

    Rajeev Singhal

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