अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Monday, December 6, 2010

लुप्त होती प्रजाति मानव को बचाए

कितनी दयनीय दशा में आज मानव जी रहा है किसी को भी इस बात की तनिक भी चिंता नहीं की अगर हम लोग इसी तरह मानव को लुप्त होते देखते रहे तो जल्दी ही इस दुनिया से यह प्रजाति खतम हो जायेगी मानव की दुर्दशा का अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है की हमारे द्वारा बड़े बड़े प्रोजेक्ट चलये जा रहे हैं जो विभिन्न जानवरों को बचाने के लिए बनाये गए हैं लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है की मानव की भी रक्षा की जाए अगर दुनिया से मानव लुप्त हो गया तो इसी के साथ दया, करुणा, सहायता, रक्षा, नैतिकता इन सभी चीजों का भी नाश हो जायेगा आज मानव को बचाने को हम सभी को मिलकर कोशिश करनी होगी वरना आने वाला समय बहुत ही निर्दयी होने वाला है जब आदमी आदमी की जान का प्यासा होगा और उसको बचाने के लिए कोई आगे नहीं आएगा आज हमारे द्वारा मानव की हत्या उसके बचपन में ही कर दी जाती है और मानवता के समूल नाश की तरफ हम लोग बढ़ रहे हैं यह सोचना कितना अजीब है की सभी आदमी मानव होने का ढोंग कर रहे हैं और उसी मानव की हत्या कर रहे हैं आओ मेरे दोस्तों दुनिया में जिंदगी, मानवता, दया , करुणा और नैतिकता बचाने को हम लोग संघर्ष करे वरना आने वाले समय में हमारे अपने बच्चे आपस में लड़कर और एक दूसरे से दुश्मनी निभाने में ही पूरा समय बर्बाद कर देंगे अगर मानव की रक्षा होगी तो ही और जानवरों की रक्षा हो पायेगी यह बात हमे समझने की जरुरत है प्रकृति, मानवता और दुनिया को बचाने को आओ संघर्ष करे और मिलकर एक उदाहरण प्रस्तुत करे

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2 comments:

  1. हम अपने आप को सँभालने और सुधारने में विश्वास रहते है, दूरसों पे तो अपना अधिकार है नहीं, खुदी को संवार ले तो बहुत, यहाँ तो इसी मशक्कत में पूरी जिंदगी निकलती जाती मालूम होती है ;)
    लिखते रहिये ...

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  2. सुधारना माना की एक सतत प्रक्रिया है मगर क्या समाज के लिए हमारे उत्तर्दयित्वाया नहीं है, समाज को सुधारना भी स्वयं को सुधरने जैसा ही है, क्यूंकि समाज ही हमे भविष्य के सुधरे हुए नागरिक देगा|

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