अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Tuesday, November 25, 2014

स्वच्छ भारत अभियान
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फटे हुए पन्नी के टुकड़े
चाय पीकर फेंके हुए गिलास
चिप्स के रैपर
प्लास्टिक की रस्सियाँ
मुसा हुआ अखबार
गुटके के खाली पैकेट
सिगरेट के बचे हुए टोटे
एक जिंदगी बचा रहे हैं
अभी तो सड़क से चुगा है
काली खुश है इतनी ठण्ड में
उसके पास आग तापने को
कबाड़ का बड़ा सा ढेर है
स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है
नहीं पता काली कब तक जियेगी

अजय सिंघल
25/11/2014

Tuesday, March 25, 2014

साफ़ सफाई ( Speech )

आज हम यहाँ सफाई और स्वास्थ्य पर चर्चा के लिए इकठ्ठा हुए है ... सफाई और स्वस्थ्य कैसे एक दूसरे के पूरक है ये बात हम भली भाँती जानते हैं .... लेकिन आज मैं इस पूरी बहस को एक अलग दिशा देना चाहता हूँ .... मैं ये जानना चाहता हूँ की हम से कौन है जो ये बाते नहीं जानता
१.        रोज नहाना स्वास्थय के लिए अच्छा है
२.      साफ़ कपडे पहनने चाहिए
३.      साफ़ सुथरा रहना चाहिए
४.      घर में सफाई रखनी चाहिए
५.      गलियाँ और नालियां पार्क, शहर, बाजार सब साफ़ सुथरे होने चाहिए
६.       सिगरेट शराब पीना स्वाश्थ्य के लिए हानिकारक है
७.      सुबह घूमना चाहिए , व्यायाम करना चाहिए
कोई है ऐसा जिसको ये सब नहीं पता ...... हम सब को पता है ... लेकिन तब भी देश गन्दी हालत में है और देश का स्वास्थ्य और भी खराब हालत में ..... इसका मतलब ये है की देश के लोगो को जागरूकता की नहीं बल्कि मानस बदलने की जरूरत है ...
वो चीज़े जो धीमे जहर की तरह हमें नुक्सान करती है उन चीजो के नुक्सान को हम महसूस नहीं कर पाते और लगातार उस जहर का सेवन करते रहते हैं ... बिना ये सोचे हर छ महीने में हो जाने वाले बुखार का कारन यही है .. बिना ये सोचे की रोज गले में होती खराश का कारन ये धूल ही है ... बिना ये सोचे की लगातार कम होती जिंदगी का मुख्या कारन हर तरफ फैली गंदगी ही है
कई बार मुझे लगता है हम लोगो को स्वयं ही विश्वास नहीं है की हम साफ़ सुथरे रह सकते है ... हमारी नालियां, गालियाँ, मोहल्ले साफ़ रह सकते है ... और यही अविश्वास हम अपने बच्चो में पैदा करते हैं | कभी सोचा है की हम भगवान की पूजा करते रहते हैं सालो साल ... जिंदगी में उसके बावजूद भी दुःख आते रहते हैं .. लेकिन हम पूजा करना नहीं छोड़ते ... यही सोचते रहते हैं की एक दिन इसका फल जरूर मिलेगा .. क्यूँकी हम भगवान में विश्वास करते है .. यही विश्वास हमें अपने बच्चो में साफ़ सफाई के लिए पैदा करना होगा .. उन्हें समझाना होगा की अगर हम प्रयास करेंगे तो एक दिन वो सफल भी होगा | मैं जहां रहता हूँ वहा हमने मुस्कान ज्योति के साथ प्रयास किया और आज हमारी कॉलोनी पूर्ण रूप से स्वच्छ है |
देश के लोगो को ये समझाने की जरूरत है की बहुत छोटे छोटे प्रयास बहुत बड़ा काम कर सकते हैं जैसे जब विशाल पहाड़ पर पानी की पतली धारा बहनी शुरू होती है तो पहाड़ के सामने वो बहुत ही बोनी होती है ... लेकिन पानी की वो पतली धारा धीरे धीरे पहाड़ को काट कर घाटी बना देती है .... देश के लोगो को ये समझाने की जरूरत है की सड़क पर उडती धूल हमारे फेफडो में जाकर जम जाती है और हमारी स्वस्थ जिंदगी के अरमान पर भी धूल बैठा देती है ... हमें खुद को बदल कर अपने बच्चो के सामने ऐसे उदाहरण सेट करने पड़ेंगे जब हम उन्हें ऐसा साफ़ सुथरा वातावरण दे सके की वो गन्दगी में रह ही नहीं पाए .... मानस बदलने की लड़ाई एक निरंतर..... सालो तक किया जाने वाला प्रयास है ... अगर हम बच्चो को ये सिखाते रहे की साफ़ रहना चाहिए लेकिन हमने सब कुछ गंदा रहने दिया तो उसका कोई फायदा नहीं होने वाला .... हम लोग क्रेजी ग्रीन के रूप में पटाखे ना छुटाने को लेकर पिछले पांच सालो से स्कूलो में एक मुहीम चला रहे हैं ... इस विश्वास के साथ की आज जो बच्चे इसमें सहभागिता कर रहे हैं आज से दस पन्द्रह सालो बाद जब पिता बनेगे तो अपने बच्चो को पटाखे छुटाने के लिए मना करेंगे ... अगर पचास सालो में चीज़े खराब हुई हैं तो उनको ठीक करने में भी बहुत लंबा समय लगेगा |
आओ मिलकर देश को सुन्दर और साफ़ बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बने ... सिर्फ अपने चहरे , अपने घर से आगे भी कुछ अपनि गलियों , अपने शहर और अपने देश के बारे में भी सोचे ... हम शपथ ले की अब से टोफ्फी का एक रेपर भी हम सड़क पर नहीं फेकेंगे .... शपथ ले की स्वयं और अपने आस पास के लोगो को बेजिझक सड़क पर कबाड डालने से मना करेंगे बिना इस बात की चिंता किये बगैर की वो सुनता है या नहीं ... शपथ ले की हमारी जिम्मेदारियां सिर्फ अपने घर के लिए नहीं हैं बल्कि हमारा मोहल्ला, हमारा शहर और हमारा देश का साफ़ होना भी हमारी जिम्मेदारी है | आओ आज मेरे साथ शपथ ले
साफ़ रखेंगे साफ़ रखेंगे
घर आगन को साफ़ रखेंगे
साफ़ रखेंगे साफ़ रखेंगे
गली मोहल्ले साफ़ रखेंगे
साफ़ रखेंगे साफ़ रखेंगे
शहर देश को साफ़ रखेंगे

सहारनपुर शहर के लोग खुशनसीब है की यहाँ पर सुनहरा कल प्रोग्राम में मुस्कान ज्योति जैसी संस्थाए शहर में बेहतरीन काम कर रही है और सफाई के साथ साथ हम लोगो के स्वास्थ्य को भी बेहतर करने में मदद कर रही है | बैठे बच्चो से, मुस्कान ज्योति संस्था के सदस्यों से और यहाँ उपस्तिथ सभी लोगो से निवेदन है की सफाई के लिए एक सोच विकसित करे और उस सोच को मूर्तरूप में लेकर आये .... सफाई को एक आदत बनाए क्यूंकि सफाई ही वह हथियार है जो कल देश को बेहतर नागरिक देगा ... मुझे इतना समय देने के लिए मैं मुस्कान ज्योति का और आपने मुझे इतने ध्यान से सूना उसके लिए मैं आप सभी लोगो का धन्यवाद करता हूँ | आप सभी लोगो के पूरी तरह स्वस्थ भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूँ और हाँ अंत में इतना जरूर कहना चाहूँगा की पूरी तरह स्वस्थ भविष्य सिर्फ हमारी बेहतर सफाई व्यवस्था पर निर्भर करेगा ... धन्यवाद 

Tuesday, August 27, 2013

समय

समय रुकेगा नहीं ये जानने के लिए की तुम्हारे दावे सही हैं या गलत , तुम्हारे तर्क , कुतर्क , सभी बहसे समय के साथ अपना असर खो देंगी | दुनिया के सात अरब से ज्यादा लोगो के शोरगुल में किसी आवाज का कोई मतलब नहीं होगा क्यूंकि समय उन सबसे आगे निकल जाएगा | लेकिन कुछ लोग बिना तर्कों और बहसों में उलझे , समय की परवाह किये बगैर उसके साथ चलने का जज्बा खोज पाए हैं | कितना अजीब है मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी , विवेकानंद अपने चले जाने के बाद भी समय के साथ चल रहे हैं | आप कब बहस छोड़ समय के साथ चलने की कोशिश में समर्पित होंगे ... आओ उठ खड़े हो और बदलाव की कहानी का हिस्सा बने वरना तुम खुद अपने को माफ नहीं कर पाओगे की जब दुनिया बदलने का ख्वाब देख रही थी तुम अपने घर में पड़े समय को बर्बाद कर रहे थे | उठो उठो क्यूंकि यही एक तरीका है बदलने का 

Friday, August 23, 2013

आज़ादी कहाँ है


मेरे बोलने की आज़ादी कहाँ है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 कांग्रेसी बोलते हैं तुझे २००२ नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मोदी भक्त कहते हैं बर्बाद देश नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मुस्लिम कहते हैं तुम सांप्रदायिक हो
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 हिंदू कहते है तेरे कारन ही देश बर्बाद हो रहा है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 लोग कहते हैं बड़ा देश भक्त बनता फिरता है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 माफिया कहते हैं मरने का शौंक है क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 पुलिस कहती है सीधा हो जा पंगा मत ले
 मैं बोलना बंद कर करने लगता हूँ
 लोग कहते हैं मोटा कमा रहा है
 आजकल न बोलता हूँ न करता हूँ
 मैं भारतीय बस आज़ादी ढ़ूंढ़ रहा हूँ
 बोलने की आज़ादी और कुछ कर पाने की


Thursday, August 22, 2013

कटते पेड सिर्फ वायु प्रदुषण का कारण नहीं बन रहे है बल्कि हज़ारो तरह के जीव जंतु भी कटते पेडो के कारन अकाल म्रत्यु को प्राप्त हो रहे हैं | ये एक शुरुआत है जीवन के धरती से जाने की | हर वर्ष बहुत से कीड़े मकोड़े और वृक्षों की प्रजातियां धरती से पूरी तरह नष्ट हो जा रही है इनको बचाने की जिम्मेदारी हमारी है क्यूंकि हमारी जिंदगी भी इन सब के संतुलन से जुडी है |संतुलन का अभाव बहुत सी प्रजातियों को तो धरती से मिटा ही देगा लेकिन उनके मिटने के कारन जो प्रभाव पैदा होंगे वो इंसानों के लिए भी बहुत सुखद नहीं होंगे | धरती पर आने वाले कुछ वर्षों में नयी तरह की त्रासदियाँ देखने को मिलने वाली है और किस इंसान का किस त्रासदी से सामना हो जाए इसका पता किसी को नहीं है ... जागने का समय आ गया है
यह फोटो आश्चर्यजनक है | अजीब हालत में दीखते लोग क्या आप जानते हैं मोम के बने पुतले है | 1925 में इंग्लॅण्ड के मैडम तुसाद मयूजियम में लगी आग के बाद की तस्वीर ये बताने के लिए पर्याप्त है की अगर प्राकर्तिक ताकते हवा, पानी और आग अपनी पर आ जाए तो क्या कहर मचा सकती हैं | आदमी हर चीज़ से खेल रहा है बिना ये सोचे की प्रक्रति संतुलन करना जानती है और हर बार कोप का भाजन मोम के पुतले नहीं होते

Thursday, April 19, 2012

विटामिन डी की जरूरत




नए शोध के अनुसार भारतीय लोगो में बहुत तेजी से विटामिन डी की कमी हो रही है , जिसका मुख्य कारण लोगो का धुप से बचना है | विटामिन डी की कमी से हमारा शरीर कैल्शियम नहीं सोखता तथा चालीस साल के बाद पूरे शरीर में दर्द रहने लगता है तथा हम ओस्टियोपोरोंसिस की तरफ बढ़ने लगते हैं | आजकल अपने शरीर को ढ़क् कर चलने का एक फैशन हो गया है जिसके कारण आने वाले समय में बहत सी नयी मुसीबते भारतीय समाज पर आने वाली हैं | शरीर केवल ३०-४० मिनट में जरूरत का विटामिन सोख लेता है | आइये धुप का सामना करे और खुद पर तरस खाए | इसी शोध में एक बात और बताई गयी की भारत में सन स्क्रीन लोशन की हमें आवश्यकता ही नहीं होती जबकि यहाँ धडल्ले से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है | अगर आप ये इस्तेमाल भी करते हैं तो इसका ऐ पी एफ फेक्टर १२ से ज्यादा नहीं होना चाहिए | अगर ४० साल के बाद हड्डियों के टूटने का खतरा मोल नहीं लेना चाहते तो कुछ देर धुप में गुजारे | काली या सांवली स्किन के लोगो को कम से कम तीस प्रतिशत ज्यादा धुप का सामना करना होता है विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए |




विटामिन डी किसी भी शाक सब्जियों में नहीं पाया जाता | माँसाहारी लोगो को कुछ मांस के सेवन से इसकी बहुत ही सूक्ष्म मात्र में पूर्ती हो सकती है | लेकिन इसकी अगर आपके शरीर में कमी है तो इसकी बहार से खुराक ही लेनी पड़ती है | भारतीय लोग ज्यादातर शाकाहारी होते हैं या मांस उनकी रोज के खाने में शामिल नहीं होता इसलिए बहुत तेजी से इस कमी का शिकार हो रहे हैं | आजकल लड़कियों एवं महिलाओं के लिए मुह ढकना एवं हाथो को धुप से बचाने के लिए उन पर दस्ताने पहनना आम है , ये सब आने वाले समय में एक महामारी के रूप में सामने आएगा | लक्षण दिखने लगे हैं क्यूंकि हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी गिरने मात्र से ही कूल्हे की हड्डिय टूट चुकी हैं | आइये जागरूक करे अपने दोस्तों और अपने प्रियो को