अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Friday, August 23, 2013

आज़ादी कहाँ है


मेरे बोलने की आज़ादी कहाँ है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 कांग्रेसी बोलते हैं तुझे २००२ नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मोदी भक्त कहते हैं बर्बाद देश नहीं दीखता क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 मुस्लिम कहते हैं तुम सांप्रदायिक हो
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 हिंदू कहते है तेरे कारन ही देश बर्बाद हो रहा है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 लोग कहते हैं बड़ा देश भक्त बनता फिरता है
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 माफिया कहते हैं मरने का शौंक है क्या
 मैं देश की बात बोलता हूँ
 पुलिस कहती है सीधा हो जा पंगा मत ले
 मैं बोलना बंद कर करने लगता हूँ
 लोग कहते हैं मोटा कमा रहा है
 आजकल न बोलता हूँ न करता हूँ
 मैं भारतीय बस आज़ादी ढ़ूंढ़ रहा हूँ
 बोलने की आज़ादी और कुछ कर पाने की


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