आओ नव वर्ष मनाये
आओ इस् नव वर्ष पर एक नयी रेसीपी बनाये, एक नयी डिश
साल के बारह महीनो, तीन सौ पैसठ दिनों को मिलाकर एक दम शुद्ध और प्राकृतिक व्यंजन
सबसे पहले बारह महीनो को ले और उन्हे अच्छे से साफ़ कर ले जिससे उन महीनो से सारी इर्ष्या, घृणा और कडुआहट निकल जाए इन बारह महीनो को जितना संभव हो सके उतना साफ़ और ताज़ा बना ले
अब सब महीनो में से कुछ को अटठाईस, तीस और इकतीस के टुकडो यानी दिनों में काट ले इनको एक साथ एक गुच्छा न बनाये बल्कि एक एक दिन ले और उसे अच्छे से तैयार करे पूरी महेनत से, जितना बेहतर हो सके उतना बेहतर बनाये हर दिन में अच्छे से निष्ठां, साहस और धर्य मिलाये इसमें थोडा सा कर्म भी मिलाये जो इसका जायका पूरी तरह बदल देगा अब इस् एक दिन को थोड़ी सी आशा, दया, ध्यान, प्रार्थना और अच्छे कामो से सजाये इस् पर एक चुटकी मजा और इतना ही बचपन छिड़क दे और सबसे ऊपर एक कप भरकर अपनी सबसे बेहतर मुस्कान डाल दे
इस् तरह सारे दिनों को तैयार कर इन सभी को प्यार के एक बड़े से बर्तन में डाल दे जिसे अपने जोश की अग्नि से तब तक पकाए जब तक सारे दिन मिलकर एक साथ न जुड जाए इस् नव वर्ष की रेसीपी को शान्ति, निस्वार्थ और खुशी के साथ दुनिया के सामने रखे और देखे कैसे पूरी दुनिया इस् नयी डिश की तारीफ करती है
आओ नव वर्ष मनाये
इस् नव वर्ष पर आप हमारे साथ खुद को भी सजा सवार सकते हैं बस हमारे तरीके अपनाए और सफलता की सो प्रतिशत गारंटी पाए
अपने होठो को सुन्दर बनाने के लिए तुम बहुत ही दयालुता के शब्द बोले
आँखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए लोगो की अच्छाई को देखे
अपना वजन कम कर सुन्दर सुडोल देह पाने को अपना भोजन भूखो के साथ बाँट कर खाए
आओ नव वर्ष मनाये
अंतर्मन में उत्पन्न हुए, कुछ व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति से सम्बंधित, कुछ भावों को प्रदर्शित करने की एक छोटी सी कोशिश
अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया
बहुत ही शानदार
ReplyDeleteइस् रचना पर एक टिपण्णी मिली की ऐसा इस् लिए होता है की समाज के लिए जो नियम कायदे किसी काल विशेश में बनाए जाते हैं उस काल या उन कारणों के खतम हो जाने के बाद भी वो प्रथाए समाज में चलती रहती है | मुझे ये वाकई लगता है की इन सब चीजों के पीछे यही कारण है लेकिन वास्तु जैसे समाज के दोषों का क्या हो वैसे इसको सही उच्चारण करते हैं वास्तुदोष
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