अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Sunday, June 5, 2011

चलो इस्तेमाल हो जाए


घबराहट होती है देश की हालत पर , आम आदमी बस इस्तेमाल होने के लिए बना है क्या ? कभी अन्ना, कभी बाबा रामदेव और कभी दबंग लोग, सरकारे तो कर ही रही है इस्तेमाल आदमी को | किसी खबर का नहीं पता , क्या सच है क्या झूठ , कौन से सौदे पर्दों के पीछे किये जा रहे हैं | कौन से खेल चल रहे हैं चारों तरफ | मेरे एक मित्र के साथ अब से कुछ वर्षों पहले सड़क पर लूट पाट होते होते बची थी उस समय जब वो गांव की सड़क पर खुद को बचाने के लिए भाग रहा था और चिल्ला रहा था बचाओ बचाओ तब वो लुटेरे भी चिल्ला रहे थे बचाओ बचाओ जिससे लोगो को यह भ्रम हो जाए की कौन लुटने वाला है और कौन लूटने वाला है यही खेल तो चल रहा है देश में | देश के सब भ्रष्ट्र लोग भी लाइन में खड़े हैं की भ्रष्ट्राचार खतम हो क्यूंकि वो जानते हैं अगर कुछ हुआ तो कानून की लकीरे भी वही बनायेंगे | आम आदमी .. नहीं शायद आम भ्रष्ट्र आदमी मजे ले रहे हैं खबरों का , बहस में अपना समय गुजार रहे हैं , नारे लगा रहे हैं समाज परिवर्तन के और खराश के साथ उनके अर्थो को सड़क पर थूक दे रहे हैं | आओ जश्न मनाये कभी न सुधरने के लिए किये गए आधे अधूरे प्रयत्नों का | किये गए प्रयत्नों में किये गए खर्चो से भी जेबे भर लेने का | सरकारे भी लगी है आदमी को मुर्ख बनाने में , वो सरकारे जो हमने बनायी है देश चलाने को वही लाखो करोड के घपलों में लिप्त है | अपने बच्चो की रोटी को भी नोच लेने का समय है यह , उनके हिस्से का पानी पी जाने का समय है ये , उनके हिस्से की हवा में जहर घोलने का समय है ये | फेसबुक पर बैठकर प्रतिक्रिया देने का समय है ये | काम से ज्यादा बाते करने का समय है ये | किसी दुसरे के नहीं अपने बच्चो की लाशो पे कफ़न डालने को पैसा कमाने का समय है ये |

सुना था आदमी और जानवर में बस एक फर्क है की आदमी के पास बहुत से गुण हैं और जानवरों के पास बस एक गुण वो भी प्रचुरता में | तभी तो कुछ लोग शेर की तरह वीर हैं , हिरन की तरह चपल है , बाज के जैसी आँख हैं , नाग की तरह जहरीले हैं | इन्ही गुणों ने आदमी को आदमी बनाया सिर्फ आदमी में वो ताकत है जो उसे देवता बना दे और चाहे तो जानवर बना दे | कितना अजीब है हम देवता बन सकने की क्षमता होते हुए जानवर बनने को उतावले हो रहे हैं | आज जिला जज महोदय ने एक कार्यक्रम में कहा हर वृक्ष में एक बिंदु होता है जहां से हर वृक्ष का एक हिस्सा अंधेरो में उतर जाता है और एक हिस्सा आसमान की तरफ देखने लगता है आदमी में भी यही काबिलियत है अगर बस वो ऊपर देखने लगे तो देव बन जाए और नीचे देखने लगे तो असीम अंधेरो में उतर जाए | देव बनने की सभी क्षमताये हम में हैं बस ऊपर देखने की जरूरत है |

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