अंतर्मन - मानव का वो साथी है जो उसको हमेशा अहसास दिलाता है की मानव भगवान का अंश है सच्चे अर्थो में हमेशा साथ खड़ा रहने वाला दोस्त अंतर्मन ही तो है जो हमेशा हमे कुछ भी गलत करने से रोकता है किसी भी काम से पहले मन कहता है रुक, सोच ले और हर गलत कदम पे वो अहसास कराता है कि भगवान देख रहा है लेकिन, आदमी अंतर्मन की आवाज को अनसुना कर आगे बढ़ता है; सभी गलत काम करता है, लोगो को ठगता है और फिर कहता है कि अच्छा हुआ जो ये काम कर लिया, कितना पैसा कमा लिया (जबकि उस समय भी अंतर्मन कहीं डर रहा होता है)

जब यह योजना बनी की अंग्रेजी ब्लॉग में रोसेन लगातार कुछ लिख रही है और मैं पंचतत्व में हिंदी ब्लॉग की कमी को पूरा करूँ तो मुझे लगा कि अंतर्मन की आवाज से बेहतर और क्या होगा लिखने को - जिसे हम सब सामने नहीं आने देना चाहते कोशिश है एक छोटी सी अंतर्मन की दशा बताने की - अगर लगे कि मैं उस आवाज को सुन पाया हूँ तो स्वागत करना; अन्यथा, एक दोस्त की तरह मुझसे इस बात की मंत्रणा करना कि क्यों मैं चाह कर भी अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाया

Thursday, July 14, 2011

कांग्रेस का बम विस्फोट

मुंबई बम विस्फोट के बाद के बयान राजनीती की बढती नंगई की और इशारा करते हैं | ये बयान आम आदमी को ये बताने के लिए काफी हैं, की हम सभी लोग उग्रवादियों के रहमो करम पर जिंदा हैं | हम जिंदा है तो सिर्फ इसलिए क्यूंकि वो हमें मार पाने लायक बम नहीं बना पा रहे | मुझे ये समझ नहीं आता की क्यूँ हमारा तंत्र जो किसी भी चीज़ को संभालना तो जानता ही नहीं उसके बाद बेतुके बयान क्यूँ देता है | क्यूँ हम हर बार बेतुके बयानों के बाद अवसाद ग्रस्त प्रतिक्रियाएं करते है जबकी हमें पता है की दिग्विजय सिंह एवं माननीय युवराज अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं |


अब मुझे यह भी लगने लगा है की मेरा ही मानसिक संतुलन ठीक नहीं क्यूंकि मैं चाह कर भी, हज़ार प्रयत्न करने के बाद भी वैसे सोच नहीं पाता जबकि मुझे लगता है की अगर किसी आदमी को समझना चाहता हूँ तो उसकी तरह सोचने का प्रयत्न करु | मैं अब बहुत सी बाते समझ नहीं पाता शायद मैं अवसाद से ग्रस्त हूँ
जैसे मुझे समझ नहीं आता की कोई इतना बेशर्म कैसे हो सकता है जो ये कह दे की हम पकिस्तान से अछे हैं जहां रोज धमाके होते हैं या फिर यही की धमाके रोके ही नहीं जा सकते जैसे अमेरिका के बारे में हमे पता ही नहीं और वहाँ भी रोज बम फटते हो |


मुझे और भी बाते समझ नहीं आती जैसे गंगा को बचाने को चलाई जाने वाली मुहीम उन लोगो को क्यूँ नहीं सोप दी जाती जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसी के लिए लगा दी | हर शहर में छोटे छोटे ग्रुप या जलपुरुष राजेंद्र सिंघजी जैसे लोगो को क्यूँ नहीं उन कार्यों के लिए नियुक्त किया जाता जो अकेले लगे हैं बरसो से |
मुझे ये भी समझ नहीं आता की क्यूँ हम उग्रवादियों को अपने देश में घुसने देते हैं और फिर उनसे लड़ते हैं ये तो उसी तरह हो गया की घर के बाहर से चूहों को अंदर आने दो और फिर उन्हें घर में खोजते रहो तब तक जब तक वो कोई नुक्सान ना कर दे | क्यूँ नहीं बोर्डर की सुरक्षा में उनमे से आधे लोग और लगा दिए जाते जिनको देश के अंदर सुरक्षा करनी है | कितना अजीब है घर के हर कमरे में ताला लगा के रखो और मुख्य द्वार खुला रहने दो |
मुझे ये भी समझ नहीं आता की तरह तरह के भ्रष्ट्राचार में फसे नेता कैसे हर बार चुनाव जीत कर फिर से राज करने लगते हैं, कैसे भ्रष्ट्राचार के आरोप में नेता के जेल जाते समय लोग उनके लिए नारे लगाते हैं की संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है | मुझे बहुत सी बाते समझ नहीं आती |
मुझे समझ नहीं आता की सड़क पर हुई हर मौत के लिए कौन से लोग सरकारी बसों को तोड़ते हैं और फिर मुआवजा लेकर आराम से घर जाकर सोते हैं |
मुझे समझ नहीं आता की कौन से लोग शहर की सबसे व्यस्त सडको पर जागरण करने के लिए इकठ्ठा हो जाते हैं और कौन से लोग उन्हें इसकी परमिशन दे देते हैं |
अच्छा है बहुत से लोग अवसाद ग्रस्त नहीं हैं, अच्छा है बहुत से लोगो को पुरानी बाते याद नहीं रहती| अच्छा है कल से मुंबई फिर से चलने लगेगी | अच्छा है देश के बहुत से लोगो की संवेदनाए मर गयी है | अच्छा है बहुत से लोग यही सोचते हैं की सवा अरब लोगो में सों पचास का मर जाना क्या मायने रखता है |

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